सत्य हिन्दू धर्म सभा ; आज का विचार :
हिन्दुस्तानियो की दीवाली अलग विदेशी ब्राह्मण दिवाली अलग :
हिंदुस्तानी लोग ५ नवंबर , २०१८ से ५ दिन की दिवाली मानते है . धनत्रयोदशी , नरक चतुर्दशी , , लक्समी पूजन , बलि प्रतिपदा , भाऊबीज ये वो ५ दिन है जिसे हिंदुस्तानी दीवाली के पर्व के नाम से मानते है . जब ये दिन खुसी के दिन जैसे मनाये जाते है तो जरूर खुसी के कारन रहे होंगे . इन में से लक्समी पूजन के दिन महावीर का निर्वाण आता है जिसे शायद ही कोई आनंद का दिन मने . नरक चतुर्दशी के दिन सुबह उठकर अभय स्नान किया जाता है पैर उसे नरक चतुर्थी क्यों कहा जाता ये सोचने की बात है . हो सकता है इस दिन विदेशी ब्रह्मिनो के नर्क से हिन्दू को छुटकारा मिला हो . बलिप्रतिपदा पर हिन्दू मानते है उनका माह प्रतापी बलि राजा फिर लौट कर आया जिस के कारन ये दिन खुसी से मनाया जाता है . इस दिन गोवर्धन यानि पशुधन , गाय , बैल , बकरी , ऊंट , मैश आदि को सजाया जाता है और घुमाया जाता है .
लक्समी पूजन पर धंदे का पुराण खता बंद कर नए से धंदा , वेपर शुरू किया जाताहै . और अंतिमदिन बहियादूज को बहने अपने भाई यो को उपहार देकर उनके भलाई की कामना कराती है . ये सब खुसी खुसी पर्व ५ दिन का मानाने के बाद कोई १४ - १५ दिन के बाद विदेशी ब्राह्मण उनकी देव दिवाली मानते है वो किस लिए ?
इसका कारण साफ है विदेशी ब्रह्मिनस हिंदुस्तानी नहीं है , न ही वे हिन्दू है .
देव दिवाली कार्तिक पूर्णिमा २३ नवंबर , २०१८ को जो विदेशी ब्राह्मण मानते है उसका कारण है इस दिन विदेशी ब्रह्मिनो ने हिन्दू के महा प्रतापी राजा वृंदा का खून किया और उसकी रानी तुलसी के जबरदस्ती कर उसपर अत्याचार किया उसे विदेशी ब्राह्मण रेपिस्ट विशु की जबरदस्ती से बीवी घोषित कर जस्न मनाया . वो दिन कार्तिक पूर्णिमा का था . ऐसी दिन विदेशी ब्राह्मण का मस्त्य अवतार मन जाता है , जिस का मतलब है इस दिन रत के अँधेरे में ये विदेशी ब्राह्मण सिन्दु नदी को पर कर हिंदुस्तान में घुसे थे और हमारे सिन्दु संस्कृति में वर्णित नगर जला दिए थे जिसका जीकर ये विदेशी ब्राह्मण उनके बाद में लिखे वेदो में आता है .
विदेशी ब्राह्मण हिंदुस्तानी लोगो को समय समय पर कभी , असुर , राक्षस , दास , दस्सू , क्षत्रिय , राजपूत , भूमिधर , भुत , पिचास , गण , बेपारी , व्यश्य , शूद्र , अछूत कहते रहे है जिस का जीकर उनके विदेशी ब्राह्मण धर्म किताबो में मिलता है .
कार्तिक पूर्णिमा को गुरु नानक का जन्म दिन भी आता है जो खुसी का दिन है जिन के कारण लाखो हिन्दू को विदेशी ब्राह्मण धर्म से मुक्ति मिली .
दिवाली के दो अलग अलग पर्व मनाये जाते है . एक है स्वदेशी हिन्दुस्तानियो को और दूसरा है विदेशी ब्रह्मिनो का . साफ है हिन्दू वो ही , जो ब्राह्मण नहीं .
हिंदुस्तान का इतिहास विदेशी ब्रह्मिनो ने समय समय पर जलाया है . नालंदा को इन्ही विदेशी ब्रह्मिनो ने जलाया , मुस्लिमो ने नहीं . नालंदा विदेशी ब्राह्मण शंकराचार्य के समय जलाई गयी जैसे बाबरी मस्जिद आज के सभी ब्रह्मिनो ने मिल कर गिरायी है .
हमरे हिन्दू धर्म का वृक्ष पर ब्रह्मिनो ने विदेशी ब्राह्मण धर्म कलम कर कब्ज़ा करने की बहुत कोशिस की पर हमारे संतो ने उसे जीवित रखा , लोगो ने जीवित रखा और विदेशी ब्रह्मिनो के लाख कोशिस के बाद भी उसे मिटा नहीं सके . हिन्दू दिवाली और विदेशी ब्राह्मण की देव दिवाली इस के प्रमाण है .
धर्मात्मा कबीर ने सत्य हिन्दू धर्म को अपने अमर वाणी बीजक से लोगो तक पहचाया जो एक मात्रा सत्य हिन्दू धर्म का ग्रन्थ है जो हमें बताता है ब्राह्मण विदेशी है . उनका ब्राह्मण धर्म अमानवीय है , कुधर्म है , अधर्म है , उनकी संस्कृति विकृति है जो वर्णभेद , जातिभेद , भेदभाव , अस्पृश्यता की जननी है .
हम अपने हिंदुस्तानी दिवाली धूम धाम से मनाएंगे और जहा गलत लगता है उसे हटाएंगे .
हम विदेशी ब्रह्मिनो को अपने देश से , हिन्दू धर्म से , हिंदुस्थानी संस्कृति से बहार कर उसे मुक्त करंगे ये संकल्प करते है . आप सभी नेटिव लोगो को दिवाली की मंगल कामनाये देते है .
नेटिविस्ट. डी डी .राउत ,
प्रचारक , सत्य हिन्दू धर्म सभा
आवर मैसेज तू नेशन : जनेऊ छोडो , भारत जोड़ो
हिन्दुस्तानियो की दीवाली अलग विदेशी ब्राह्मण दिवाली अलग :
हिंदुस्तानी लोग ५ नवंबर , २०१८ से ५ दिन की दिवाली मानते है . धनत्रयोदशी , नरक चतुर्दशी , , लक्समी पूजन , बलि प्रतिपदा , भाऊबीज ये वो ५ दिन है जिसे हिंदुस्तानी दीवाली के पर्व के नाम से मानते है . जब ये दिन खुसी के दिन जैसे मनाये जाते है तो जरूर खुसी के कारन रहे होंगे . इन में से लक्समी पूजन के दिन महावीर का निर्वाण आता है जिसे शायद ही कोई आनंद का दिन मने . नरक चतुर्दशी के दिन सुबह उठकर अभय स्नान किया जाता है पैर उसे नरक चतुर्थी क्यों कहा जाता ये सोचने की बात है . हो सकता है इस दिन विदेशी ब्रह्मिनो के नर्क से हिन्दू को छुटकारा मिला हो . बलिप्रतिपदा पर हिन्दू मानते है उनका माह प्रतापी बलि राजा फिर लौट कर आया जिस के कारन ये दिन खुसी से मनाया जाता है . इस दिन गोवर्धन यानि पशुधन , गाय , बैल , बकरी , ऊंट , मैश आदि को सजाया जाता है और घुमाया जाता है .
लक्समी पूजन पर धंदे का पुराण खता बंद कर नए से धंदा , वेपर शुरू किया जाताहै . और अंतिमदिन बहियादूज को बहने अपने भाई यो को उपहार देकर उनके भलाई की कामना कराती है . ये सब खुसी खुसी पर्व ५ दिन का मानाने के बाद कोई १४ - १५ दिन के बाद विदेशी ब्राह्मण उनकी देव दिवाली मानते है वो किस लिए ?
इसका कारण साफ है विदेशी ब्रह्मिनस हिंदुस्तानी नहीं है , न ही वे हिन्दू है .
देव दिवाली कार्तिक पूर्णिमा २३ नवंबर , २०१८ को जो विदेशी ब्राह्मण मानते है उसका कारण है इस दिन विदेशी ब्रह्मिनो ने हिन्दू के महा प्रतापी राजा वृंदा का खून किया और उसकी रानी तुलसी के जबरदस्ती कर उसपर अत्याचार किया उसे विदेशी ब्राह्मण रेपिस्ट विशु की जबरदस्ती से बीवी घोषित कर जस्न मनाया . वो दिन कार्तिक पूर्णिमा का था . ऐसी दिन विदेशी ब्राह्मण का मस्त्य अवतार मन जाता है , जिस का मतलब है इस दिन रत के अँधेरे में ये विदेशी ब्राह्मण सिन्दु नदी को पर कर हिंदुस्तान में घुसे थे और हमारे सिन्दु संस्कृति में वर्णित नगर जला दिए थे जिसका जीकर ये विदेशी ब्राह्मण उनके बाद में लिखे वेदो में आता है .
विदेशी ब्राह्मण हिंदुस्तानी लोगो को समय समय पर कभी , असुर , राक्षस , दास , दस्सू , क्षत्रिय , राजपूत , भूमिधर , भुत , पिचास , गण , बेपारी , व्यश्य , शूद्र , अछूत कहते रहे है जिस का जीकर उनके विदेशी ब्राह्मण धर्म किताबो में मिलता है .
कार्तिक पूर्णिमा को गुरु नानक का जन्म दिन भी आता है जो खुसी का दिन है जिन के कारण लाखो हिन्दू को विदेशी ब्राह्मण धर्म से मुक्ति मिली .
दिवाली के दो अलग अलग पर्व मनाये जाते है . एक है स्वदेशी हिन्दुस्तानियो को और दूसरा है विदेशी ब्रह्मिनो का . साफ है हिन्दू वो ही , जो ब्राह्मण नहीं .
हिंदुस्तान का इतिहास विदेशी ब्रह्मिनो ने समय समय पर जलाया है . नालंदा को इन्ही विदेशी ब्रह्मिनो ने जलाया , मुस्लिमो ने नहीं . नालंदा विदेशी ब्राह्मण शंकराचार्य के समय जलाई गयी जैसे बाबरी मस्जिद आज के सभी ब्रह्मिनो ने मिल कर गिरायी है .
हमरे हिन्दू धर्म का वृक्ष पर ब्रह्मिनो ने विदेशी ब्राह्मण धर्म कलम कर कब्ज़ा करने की बहुत कोशिस की पर हमारे संतो ने उसे जीवित रखा , लोगो ने जीवित रखा और विदेशी ब्रह्मिनो के लाख कोशिस के बाद भी उसे मिटा नहीं सके . हिन्दू दिवाली और विदेशी ब्राह्मण की देव दिवाली इस के प्रमाण है .
धर्मात्मा कबीर ने सत्य हिन्दू धर्म को अपने अमर वाणी बीजक से लोगो तक पहचाया जो एक मात्रा सत्य हिन्दू धर्म का ग्रन्थ है जो हमें बताता है ब्राह्मण विदेशी है . उनका ब्राह्मण धर्म अमानवीय है , कुधर्म है , अधर्म है , उनकी संस्कृति विकृति है जो वर्णभेद , जातिभेद , भेदभाव , अस्पृश्यता की जननी है .
हम अपने हिंदुस्तानी दिवाली धूम धाम से मनाएंगे और जहा गलत लगता है उसे हटाएंगे .
हम विदेशी ब्रह्मिनो को अपने देश से , हिन्दू धर्म से , हिंदुस्थानी संस्कृति से बहार कर उसे मुक्त करंगे ये संकल्प करते है . आप सभी नेटिव लोगो को दिवाली की मंगल कामनाये देते है .
नेटिविस्ट. डी डी .राउत ,
प्रचारक , सत्य हिन्दू धर्म सभा
आवर मैसेज तू नेशन : जनेऊ छोडो , भारत जोड़ो
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