हिन्दू धर्म के संस्थापक :

हिन्दू धर्म हिंदुस्तान का अनादि , पुरातन , सनातन , प्रथम धर्म  माना जाता है। जब हिंदुस्तान में विदेशी ब्राह्मण नहीं आये थे तब हिंदुस्तान में केवल एक ही धर्म था जिस कारण उसे केवल धर्म कहा जाता था।  महा भारत , रामायण  और अन्य महकाव्योमे इस लिखे हिन्दू धर्म को केवल धर्म   कहा  गया।  यह धर्म सिंधु संस्कृति में भी केवल धर्म ऐसी नाम से जाना जाता  था क्यों की उस समय और कोई धर्म नहीं था।  सिंधु संस्कृति की जानकारी से पता चलता है की जो पूज्यनीय व्यक्ति बताई गयी वह आदिनाथ , पशुपति नाथ अर्थात आज जो शिव नाम से जाने जाते वे ही थे।  इन्हे नागनाथ आदि भी कहते रहे है।  वही शिव हिन्दू धर्म के संस्थापक और आदि गुरु माने जाते है।

शिव कब हुवे ? वे अनादि , पुरातन , सनातन है इस लिए उन्हें आज के वर्ष के हिसाब से जाना   जा  सकता  और  इस  बात  को  पुरातत्वीयों  भी  माना  है  .

विदेशी  वैदिक  ब्राह्मण  धर्म  के  संथापक  , गुरु  यह  हमारा  विषय  नहीं  है  . वैदिक  ब्राह्मण  धर्मी  जब  असभ्य  यानि  बारबैरियन  थे  तब  हमारा  हिन्दू  धर्म  जग  मान्य  , विक्सित  और  समृद्धि  संस्कृति  वाला  माना   जाता  है  .

विदेशी  ब्राह्मण  धर्म  के  नेटिव  धर्म  यानी  हिन्दू  धर्म  के  मिलावट  के  कारण  देश  में  फैली  अज्ञानता  को  दूर  करने  के  लिए  हिन्दू  धर्म  के  लोगो  ने  बाद  में  जैन  धर्म  , बौद्ध  धर्म  , सिख  धर्म  और  बहुत  सारे  गैर  ब्राह्मण  संप्रदाय  , पंथ  , मार्ग  निर्माण  किये  पर  वे  हिन्दू  धर्म  के  ही  अंग  जाने  जाते  रहे  .

भगवन  राम  और  कृष्ण को  नेटिव  गैर  ब्राह्मण  हिन्दू  थे   नेटिव  हिन्दू  धर्म  के  ज्ञानी  माना  गया  इस  लिए  वे  भी  हिन्दू  धर्म  के  पूज्यनीय  हुवे  .

हिन्दू  धर्म  की  गैर  ब्राह्मण  महान गुरु  परंपरा  रही  है  जिस  में  भृगु  , व्यास , वाल्मीकि ,मार्कण्डेय  , विश्वामित्र  ,गोरखनाथ  , रविदास  , नामदेव  , तुकाराम  से  लेकर  गाडगेबाबा  , तुकडोजी  महाराज  तक  आती  है  . साई  बाबा  को  धर्मात्मा  कबीर  का  अवतार  माना  जाता  है  इस  लिए  उन्हें  भी  गुरु  माना  जाता  है  .

हिन्दू  धर्म  ग्रन्थ  का  नाम  क्या  ?

हिन्दू  धर्म  ग्रन्थ  का  नाम  क्या  ये  सवाल  भी  कुछ  लोग  पूछते  है  . जब  सिंधु  संस्कृति  में  केवल  धर्म  था  उस  समय  वह  लोक  धर्म  था  यानि  लोक  उसका  पालन  करते  थे  यद्  रखते  थे  . सिंधु  संस्कृति  में  हिन्दू  धर्म  के  गुरु  और  संस्थापक  शिव  माने  गए  और  गणराज्यो  के  प्रमुख  भी  शिव  ही  रहे  है  पर  उनके  बाद  शिव  यह  उपाधि  रही  और  नए  नए गणाधिपति  , धर्म  गुरु  आते  रहे  जिसे  हम  हिन्दू  धर्म   शिव  पीठ  भी  कह  सकते  है  जिसके  उत्तराधिकारी   भोलेनाथ  , संभो  , नीलकंठ  , संकर  आदि  नाम  से  जाने  जाते  होंगे  . उसके  बाद  गणेश  और  फिर  दूसरे  गुरु  जैसे  भृगु  , मार्कण्डेय  , शुक्राचार्य  , कृष्ण  आदि  माने  जाते  है  . आगम  , गीता  ,अरण्यके  आदि  में  विदेशी  वैदिक  ब्राह्मण  धमियोने  मिलावट   की  होने  के  कारण  उन्हें  शुध्द  और  सत्य   हिन्दू  धर्म  नहीं  माना  जाता  है  . ऐसे  शुद्ध करने  का  काम  धर्मातं  कबीर  ने  अपनी  वाणी  बीजक  में  किया  वही  आज   हिन्दू  धर्म  का  एक  मात्र  धर्म  ग्रन्थ  है  .

हिन्दू  धर्म  में  वेद , स्मृति  , ब्राह्मण  , जाती  , वर्ण  , ऊंचनीच  , भेदभाव  , अस्पृश्यता  , जनेऊ  ,होम  हवं  , वैदिक  ब्राह्मण  गॉड  नहीं  है  .

नेटिविस्ट  डी  डी  राउत
प्रचारक
सत्य  हिन्दू  धर्म  सभा  

Comments

Popular posts from this blog